जोरु का जोकर पार्ट 8
"तो, मैं इस चाकू से अपने हाथ की नस काट कर, अपनी जान दे दूंगा"! पिता ने कहा "पापा"! "आपको क्या हो गया है"? "आप क्यों ऐसा कर रहे हो"? सोनिया ने शिवा का हाथ छोड़ते हुए कहा "मैं यह सब तुम्हारी भलाई के लिए कर रहा हूं, क्योंकि तुम आज देख रही हो, मैं तुम्हारा भविष्य देख रहा हूं, दुनिया का कोई बाप, अपनी बेटी का बुरा नहीं चाहता है"! पिता ने कहा "सोनिया"! "एक बाप की नजर से देखा जाए तो, "सर"! "ठीक कह रहे हैं, मुझे थोड़ा वक्त दो "सर"! "मैं दुनिया की हर खुशी, आपकी बेटी के कदमों में लाकर रख दूंगा"! शिव ने कहा "शिवा यह इनका ट्रैप है, बिजनेसमैन जो है, अपनी बेटी की खुशियों का भी सौदा करना चाहते हैं, अभी तुम्हारे सामने कई शर्त रख देंगे, पर मुझे इनकी कोई शर्त मंजूर नहीं है, मुझे, अपने साथ ले चलो, मुझे यहां घुटन महसूस होती है"! "क्या"? "हम साथ रहने से ही साथ होते हैं, अरे,,,तुम तो मेरे दिल की धड़कन हो, जब तक मुझ में जान है, तब तक मुझे, तुमसे कोई जुदा नहीं कर सकता, "सर"! "हमारे प्यार को समझ नहीं पा रहे हैं, हमें, इन्हें थोड़ा समय देना चाहिए, अभी तुम इनके साथ ही रहो" शिवा ने कहा " देखा पापा,, यह फर्क है, आप में और मेरे सिवा में,वो चाहे तो अभी आपकी बेटी को अपने साथ, ले जा सकता है, पर उसे आपकी भी फिक्र है, क्योंकि आप मेरे, पापा हो"! सोनिया ने ताना मारते हुए कहा "अब चलता हूं"! शिवा ने कहा "अरे,,,ऐसे कैसे"?"तुम्हारे चेहरे का पूरा रंग उड़ गया है पता नहीं, कब खाना खाया था, चलो मैं, तुम्हें खाना खिलाती हूं"! सोनिया, शिवा का हाथ पकड़ कर ले गई
"मेरी बेटी ने भिखारी खाना खोल रखा है, यहां पर"! पिता ने कलपते हुए कहा सोनिया ने शिवा को बिठाया और खाना परोसते हुए कहा -"पापा की बात का बुरा मत मानना, पता नहीं, आज तुमसे ऐसा बिहेव क्यों किया"? "और तुम आजकल अपनी मनमानी ज्यादा ही कर रहे हो, मां चली गई तो यह मत सोचना, आजाद हो गए हो मां तुम्हारी जिम्मेदारी मुझे देकर गई है, इसीलिए अब तुम्हें, मेरी हर बात माननी पड़ेगी"! सोनिया ने अधिकार से कहा "मुझे पता है, कहो क्या हुक्म है, मेरे आका"! शिवा ने कहा "शाम को खाना खाने आ जाना, नहीं तो मैं टिफिन लेकर बस्ती आ जाऊंगी"! शिवा मुस्काया और कुछ देर बाद, खाना खाकर उसने कहां -"अब चलता हूं"! "अरे,,,ऐसे कैसे"? नहा लो, कितने गंदे लग रहे हो"? सोनिया ने कहा "कपड़े नहीं है"! शिवा ने बताया "मेरे पहन लो, मेरी भी 32 कमर हैं, आराम से आ जाएंगे"! "यह कुछ ज्यादा हो गया, वैसे भी खाने के बाद, नहाना सेहत के लिए हानिकारक होता है, अब चलता हूं, बाय"!
तभी सोनिया शिवा से लिपट जाती है और कहती है -"तुम चले जाते हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता है, दिन-रात तुम्हारे बारे में सोचा करती हूं, जी करता है, ऐसे ही सारी जिंदगी, तुम्हारी बाहों में बंधी रहूं, मुझे जल्द से जल्द, अपने घर ले चलो, शिवा "! सोनिया ने भावुकता से कहा "थोड़ा नाजुक समय चल रहा है, संभल जाने दो"!शिवा ने सोनिया का सर चूमते हुए कहा और वहां से चला गया शिवा अपनी बस्ती में आकर, उसने सबसे भरोसेमंद दोस्त, लखन से कहा -"बस्ती के लोगों को इकट्ठा करो, उन्हें मुझे कुछ बताना है"! कुछ देर बाद बस्ती के लोग इकट्ठा हो जाते हैं तब शिव कहता है -"मैं आज तुम सभी बस्ती वालों को एक बहुत बड़ी खुशखबरी सुनाने के लिए इकट्ठा किया है, तुम जिस कचरा मैदान को सरकारी प्रॉपर्टी समझते हो, वह सरकारी नहीं, प्राइवेट प्रापटी है"! "अरे,, यह तो और भी बुरी खबर है, जब सरकार हमें यहां चैन से नहीं रहने दे रही है तो जिसकी यह प्रॉपर्टी है, वह क्या चैन से रहने देगा, बेटा"! एक काका ने कहा
"काका"? "जिसकी यह प्रॉपर्टी है, वह तुम सबको यहां मुफ्त में जगह देना चाहता है, पक्की रजिस्ट्री के साथ, क्योंकि कचरा मैदान और उसके आसपास में जितनी भी बिल्डिंग देख रहे हो, यह सारी प्रॉपर्टी और किसी ओर की नहीं, मेरी है"! शिवा ने कहा
"लगता है शिवा, आज भंगिया पीकर आया है"! एक महिला ने कहा "भांग नहीं पी है, काकी, सच कह रहा हूं, मेरे हाथों में इस प्रॉपर्टी के पेपर है, जो मेरे नाम है, मैं कलेक्टर से कचरा मैदान की सफाई का कह कर आया हूं, हमें बस कोर्ट के आदेश का इंतजार करना है, और अब यहां किसी को भी कचरा नहीं फेंकने देना है, क्योंकि यह हम सब की प्रॉपर्टी है"! शिवा ने कहा
शिवा की यह बात सुनकर, सभी बस्ती वाले, खुश हो जाते हैं और शिवा को अपने कंधों पर उठाकर, जश्न मनाने लगते हैं, तभी वहां काजिम, अपने साथियों के साथ आता है और शिव से कहता है -"खुदा की कसम, दौलत का नशा, आदमी को पागल बना देता है, कितना भरोसा करता था मैं, तेरे पर, अपने आदमियों को तेरी ईमानदारी की मिसाल दिया करता था, फिर भी तूने, मुझसे गद्दारी की, मेरा हक खाया"! काजिम ने कहा
"शिवा कभी किसी का हक नहीं खाता है और ना अपने हक को छोड़ता है, यह लो तुम्हारे ₹80000 और यह प्रॉपर्टी, मेरे दादाजी का नाम पर है,अब इस दुनिया में उनका इकलौता वारिश में हूं, खुद देख लो"! शिवा ने पेपर देते हुए कहा "जी तो कर रहा है, तुझे मुबारकबाद दूं पर नहीं दूंगा, हां,,,एक सलाह जरूर दूंगा, इस जगह पर इस शहर के सारे, शेर हगने आते हैं, तु उनकी लेटरिंग, साफ कर करके थक जाएगा, और अगर तूने, उनको हगने से मना किया तो वह तुझे कच्चा खा जाएंगे, चलो रे"! कासिम भाई ने कहा "काजिम भाई"! "शहर के सारे शेर, सर्कस में काम कर रहे हैं और आप जिन कुत्तों को शेर समझते हो, अगर उनके गले में पट्टा डालकर, अपना पालतू नहीं बनाया तो मेरा नाम बदल देना, क्योंकि शिवा किसी का हक खाता नहीं है और अपना हक छोड़ता नहीं है"! कासिम, शिवा की बात सुनकर चला जाता है
"बस्ती वाले फिर शिवा को कंधे पर उठाकर, जश्न मनाने लगते हैं, तभी वहां आरोही उस बिजनेसमैन के साथ आती है -"शिवा"! "इनका नाम कार्तिक माहेश्वरी है, यह जाने-माने बिजनेसमैन है, यहां तुमसे, कोई डील नहीं, तुम्हें कुछ बताने आए हैं"! आरोही ने कहा
"शिवा भाई को तुमसे, कोई डील नहीं करना है"! लखन ने कहा "मैंने, तुमसे नहीं पूछा, शिवा इन्हें गलत मत समझो, सिर्फ एक बार इनकी बात सुन लो, यह तुम्हारे भले के लिए आए हैं"! आरोही ने समझाते हुए कहा "अरे,,,मैडम, एक बार बोल दिया कि, शिवा भाई को कोई बात नहीं करना है, तो नहीं करना है, क्यों फोकट अपना टाइम खोटी करेली हो"! लखन ने कहा
"तभी लखन के समर्थन में सभी लोग बोलते हैं, जब हमारे शिवा को तुमसे कोई बात नहीं करना है, पर आरोही फिर भी उम्मीद भरी, नजरों से शिवा को देखती हैं और असमंजस में फंसा, शिवा अपनी बस्ती वालों के कारण कुछ कह नहीं पता है, तभी आरोही कहती है -"यह तुम्हारे पापा के दोस्त हैं"? "क्या"? "यह मेरे पापा के दोस्त हैं, अरे इनको बिठाओ, इनके लिए कोई ठंडा लेकर आओ"! शिवा ने कहा